Mukesh Kumar (Pic Source- Twitter)
बंगाल के आक्रामक तेज गेंदबाज Mukesh Kumar को वेस्टइंडीज के खिलाफ आगामी दो मैचों की टेस्ट सीरीज और तीन मैचों की ODI सीरीज के लिए टीम इंडिया में पहली बार शामिल किया गया है। दाएं-हाथ के इस तेज गेंदबाज का बिहार के सुदूर गोपालगंज जिले के गांव कांकर कुंड से लेकर कोलकाता के ईडन गार्डन के छात्रावास में सोने से भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने तक का सफर बेहद प्रेरणादायक है।
वह पहली बार साल 2012 में अपने पिता को टैक्सी चलाने में मदद करने के लिए कोलकाता आए थे। उन्हें यहां तक पहुंचने से पहले कई उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ा, और इस दौरान बंगाल क्रिकेट संघ (CAB) और सौरव गांगुली ने उनकी बहुत ज्यादा मदद की। वेस्टइंडीज दौरे के लिए चयनित होने के बाद मुकेश कुमार बहुत इमोशनल हो गए और उन्होंने अपने इस राइज का श्रेय सौरव गांगुली, CAB और बंगाल के पूर्व तेज गेंदबाज राणादेब बोस को दिया।
सौरव गांगुली और CAB के बिना मैं जिंदा भी न होता: Mukesh Kumar
आपको बता दें, उनके पिता स्वर्गीय काशीनाथ सिंह, जिनकी 2019 में मृत्यु हो गई, क्रिकेट के खिलाफ थे और वह चाहते थे कि मुकेश केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में शामिल हों। लेकिन दुबले-पतले होने के कारण मुकेश सीआरपीएफ परीक्षा में दो बार फेल हुए और फिर बिहार अंडर-19 टीम के लिए खेलने के बाद क्रिकेटर बनने के सपने को पंख मिले। हालांकि, CAB ने 2020 में मुकेश कुमार को अपनी छत्रछाया में लिया और उनकी हर चीज का ख्याल रखा।
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अब वो भारतीय क्रिकेट का अगला सितारा बनने के लिए तैयार हैं। इस बीच, मुकेश कुमार ने कहा टेस्ट क्रिकेट खेलना उनका सपना था और अब वो इसके बेहद करीब है, तो उनके लिए इस फीलिंग को बयां कर पाना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा उनका राइज देख उनके पिता ऊपर से बहुत खुश हो रहे होंगे।
मेरा सपना अब मेरे सामने है: Mukesh Kumar
मुकेश कुमार ने PTI के हवाले से कहा: “कहते हैं ना अगर आप टेस्ट क्रिकेट नहीं खेलें, तो क्या खेलें। मेरा सपना अब मेरे सामने है। मैं हमेशा से भारत के लिए टेस्ट मैच खेलना चाहता था, और आख़िरकार मैं यहां आ गया हूं। मुझे यकीन है कि मेरे पिताजी अब मेरा राइज देखकर खुश होंगे। मम्मी, पापा का सपोर्ट हमेशा रहा और मुझ पर विश्वास करने के लिए मेरे सभी दोस्तों और CAB के विजन 2020 का धन्यवाद।
सौरव गांगुली सर, जॉयदीप मुखर्जी सर और मेरे गुरु रणदेब बोस सर, जिन्होंने हमेशा रेड-बॉल क्रिकेट में मेरा मार्गदर्शन किया है। मैं इन सब की मदद के बिना, मुझे नहीं लगता कि मैं बच पाता। कहां से शुरू किया था, और कहां पहुंच गया, यह पूरी तरह से किसी सपने जैसा लग रहा है।”