What is Common in Virat Kohli and Neeraj Chopra: विराट कोहली और नीरज चोपड़ा दो सेन्सेशनल एथलीट हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को गौरवान्वित किया है। कोहली को क्रिकेट के मैदान पर सबसे महान बल्लेबाजों में से एक माना जाता है, जबकि चोपड़ा ने भाला फेंक (Javelin Throw) में अपनी अलग ही विरासत बनाई है।
सभी फॉर्मेट में 500 से ज्यादा मैचों के साथ, कोहली ने लगभग 27,000 रन बनाए हैं, जिसमें उनके नाम कुल 80 शतक और 140 अर्द्धशतक हैं। इसके साथ ही उनके नाम 50 ओवर के प्रारूप में सबसे ज्यादा (50) शतक बनाने का रिकॉर्ड है और खेल के सभी प्रारूपों में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों की सूची में चौथे स्थान पर भी हैं।
वहीं नीरज चोपड़ा की बात करें तो इस युवा जैवलीन थ्रो खिलाड़ी ने प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत के लिए नौ स्वर्ण सहित 13 पदक जीते हैं। टोक्यो ओलंपिक में, वह गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के पहले ट्रैक और फील्ड एथलीट बन गए थे। इसके अलावा, पेरिस ओलंपिक में रजत पदक के साथ, वह अब लगातार ओलंपिक खेलों में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले भारत के दूसरे पुरुष एथलीट भी हैं।
इस आर्टिकल में हम उन 3 चीजों की बात करेंगे तो विराट कोहली और नीरज चोपड़ा में काफी समान है
1. स्थिरता और लगातार प्रदर्शन करते रहना
Virat Kohli (Photo Source: Getty Images)
पिछले एक दशक में, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में विराट कोहली की निरंतरता की बराबरी करने वाले बहुत कम खिलाड़ी हैं। कोहली का टेस्ट और टी20 में औसत लगभग 50 और वनडे में 58.18 का है। रन बनाने के लिए कोहली की भूख इतनी थी कि वह 50 ओवर के प्रारूप में 8,000 रन से 13,000 रन तक पहुंचने वाले सबसे तेज खिलाड़ी थे।
इसी तरह, नीरज चोपड़ा भी हैं जो साल 2022 से लगातार पोडियम पर बने हुए हैं। साल 2022 में, उन्होंने ज्यूरिख में डायमंड लीग में स्वर्ण और पावो नूरमी खेलों और विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीते।
वह यहीं नहीं रुके अगले साल चोपड़ा ने एशियन गेम्स, दोहा डायमंड लीग और बुडापेस्ट में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते। इस साल उन्होंने तुर्क में पावो नूरमी गेम्स में स्वर्ण और पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीता है। कोहली और नीरज एक समान हैं, दोनों लगातार अपने-अपने खेलों में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं।
2. कोहली-नीरज दोनों ने अपने-अपने खेल में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं
Neeraj Chopra (Image Credit- Twitter X)
विराट कोहली ने भारतीय कप्तान बनने के बाद टीम के सभी खिलाड़ियों के बीच फिटनेस पर विशेष जोर देना शुरू कर दिया था। हेड स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच बासु शंकर के सहयोग से, दोनों ने मिलकर टीम इंडिया में फिटनेस के कल्चर को ही बदल दिया।
उन्होंने 2017 में यो-यो टेस्ट (रनिंग एरोबिक फिटनेस टेस्ट) शुरू किया, जिसमें सभी खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने के लिए यह टेस्ट पास करना जरूरी था। परिणामस्वरूप, सबसे फिट खिलाड़ियों को टीम में जगह मिली और टीम को सभी प्रारूपों में उत्कृष्टता हासिल करने में मदद मिली।
दिलचस्प बात यह है कि कोहली की कप्तानी में भारत पांच साल (2016-21) तक टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर रहा। हालांकि टीम आईसीसी की बड़ी प्रतियोगिताओं में जीत हासिल नहीं कर सकी, लेकिन वे लगातार इतना अच्छा प्रदर्शन कर पाए कि अधिकांश मौकों पर नॉक आउट तक पहुंच गए थे। फिटनेस की वजह से कोहली के कप्तानी में टीम इंडिया अलग ही कमाल कर रही थी।
दूसरी ओर, नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में 21 साल बाद खेलों में भाग लेने वाले भारत के पहले भाला फेंक खिलाड़ी थे। 2000 के ओलंपिक में जगदीश बिश्नोई ने इस खेल में भाग लिया था।
नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में 87.58 मीटर भाला फेंककर इतिहास रच दिया और वे पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले एशियाई एथलीट बन गए थे। हाल ही में संपन्न पेरिस ओलंपिक में 26 वर्षीय चोपड़ा ने 89.45 मीटर भाला फेंककर रजत पदक जीता और अपनी विरासत को और मजबूत किया। जिस खेल को देश में कभी मान्यता नहीं मिलीं, अब चोपड़ा की प्रतिभा के कारण उसमें युवाओं और देश की रुचि बढ़ रही है।
3. असफलताओं के बाद हीरो की तरह कमबैक
Rohit Sharma & Virat Kohli (Photo Source: Getty Images)
2019 में विराट कोहली के बल्ले से शतक नहीं लग रहे थे और वह 3 साल तक लगातार फ्लॉप हो रहे थे। इस वजह से कई लोगों ने उनके करियर की लंबी अवधि और बड़ी पारियाँ खेलने की क्षमता पर संदेह किया, जैसा कि उन्होंने अतीत में किया था।
हालांकि, वह कोहली हैं, उन्होंने एशिया कप 2022 में शानदार वापसी की, जहां उन्होंने अफगानिस्तान के खिलाफ टी20 मैच में 61 गेंदों पर 122* रन बनाए। उसी साल, उन्होंने मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 विश्व कप खेल में 53 गेंदों पर 82* रन की अपनी करियर की सर्वश्रेष्ठ टी20 पारी खेली।
दिलचस्प बात यह है कि कोहली का टी-20 विश्व कप 2024 का अभियान फाइनल तक निराशाजनक रहा था। वह हर मैच में फ्लॉप साबित हो रहे थे लेकिन फाइनल में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच विजयी 76 रन की पारी खेली थी।
ऐसा ही हाल कुछ नीरज चोपड़ा का है जो अपने करियर के शुरुआती दौर में कोहनी की सर्जरी के कारण 2019 का पूरा सीजन मिस कर गए थे। हालांकि, वह टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण जीतने में सफल रहे। बता दें कि, एक इंटरव्यू के दौरान नीरज चोपड़ा ने कहा था, “हार के बाद ही मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं। 2017 में मैंने डायमंड लीग में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेना शुरू किया था। 2017 से 2021 तक मैं हारता रहा। लेकिन 2022 डायमंड लीग में मुझे पहली बार पोडियम पर जगह मिली थी। इसलिए जीत की शुरुआत अचानक नहीं हुई।
चोपड़ा इसके बाद कमर की चोट के कारण 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में भाग नहीं ले सके, लेकिन बुडापेस्ट में 2023 में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता। दोनों एथलीटों ने अपने करियर में असफलताओं का सामना करने के बाद मजबूत वापसी करते हुए अपनी प्रतिभा और क्षमता का प्रदर्शन किया है। यहीं कुछ खास चीजें हैं जो इन्हें एक जैसा बनाती हैं।