ICC and MLC. (Image Source: Twitter)
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने दुनिया भर में बढ़ रही फ्रेंचाइजी लीगों से क्रिकेट बोर्डों और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को हो रहे नुकसान से बचाने का रास्ता आखिरकार ढूंढ निकाला है। इंग्लैंड के जेसन रॉय से लेकर न्यूजीलैंड के ट्रेंट बोल्ट तक कई अंतरराष्ट्रीय सितारे दुनिया भर में फ्रेंचाइजी लीगों में अधिक समय देने के लिए राष्ट्रीय सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट्स को ठुकरा रहे हैं, जिससे ICC और क्रिकेट बोर्ड निराश और डरे हुए हैं।
अब इस समस्या के समाधान के लिए ICC दो नियम लेकर आया है, जो अगले महीने सभी के सामने पेश किए जाएंगे। द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीसी फ्रेंचाइजी क्रिकेट लीगों में विदेशी खिलाड़ियों की संख्या प्लेइंग इलेवन में चार तक सीमित कर रही है,फ्रेंचाइजी लीगों पर काबू पाने के लिए ICC ने ढूंढ निकाला चौंकाने वाला इलाज और साथ ही टी-20 लीग को प्रत्येक खिलाड़ी के लिए राष्ट्रीय बोर्ड को भुगतान करने के लिए कहेगी।
ICC चाहता है दुनिया की सभी फ्रेंचाइजी लीगें आईपीएल के नक्शेकदम पर चले
ICC ने हर फ्रेंचाइजी को अपनी प्लेइंग इलेवन में चार विदेशी खिलाड़ियों को रखने की सीमा तय करने का फैसला किया है, अर्थात् इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की तरह ही अब अन्य लीगों में केवल चार विदेशी प्लेयर एक मैच में हिस्सा ले सकते हैं। UAE की इंटरनेशनल लीग टी-20 (ILT20) और अमेरिका की मेजर लीग क्रिकेट (MLC) में प्रति टीम को नौ विदेशी खिलाड़ियों को रखने अनुमति दी गई है।
जबकि जुलाई में शुरू होने वाली अमेरिका की MLC में प्रत्येक टीम में नौ और प्लेइंग इलेवन में छह खिलाड़ियों को रखने की अनुमति दी जाएगी। ICC का चार विदेशी खिलाड़ियों को प्लेइंग इलेवन में रखने देने का उद्देश्य यह है कि खिलाड़ी मल्टी-टीम फ्रेंचाइजी कॉन्ट्रैक्ट साइन न कर पाए। ICC द्वारा प्रस्तावित दूसरा नियम यह है कि फ्रेंचाइजी लीगों को राष्ट्रीय क्रिकेट बोर्डों को प्रत्येक खिलाड़ी को दी जाने वाली राशि का 10 प्रतिशत भुगतान करना होगा, जैसे आईपीएल करता है।
ICC ने इन दो नियमों का पालन हो इसलिए एक और कठोर कदम उठाने का सोचा है। अगर कोई भी टूर्नामेंट इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो ICC उसे गैर-अनुमोदित/ अनसैंक्शन लीग करार देगा, नतीजन उसमें भाग लेने वाले किसी भी खिलाड़ी को पूरी मौजूदा फ्रेंचाइजी लीगों और अंतरराष्ट्रीय मैचों से बैन कर दिया जाएगा।