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“150 kmph की स्पीड से बॉलिंग करोगो तभी…”, हर्षित राणा की ट्रेनिंग को लेकर पिता ने किया खुलासा

“150 kmph की स्पीड से बॉलिंग करोगो तभी…”, हर्षित राणा की ट्रेनिंग को लेकर पिता ने किया खुलासा

“150 kmph की स्पीड से बॉलिंग करोगो तभी…”, हर्षित राणा की ट्रेनिंग को लेकर पिता ने किया खुलासा

Harshit Rana (Photo Source: Getty Images)

हर्षित राणा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 के पहले टेस्ट में भारत के लिए डेब्यू किया था। पर्थ टेस्ट में युवा गेंदबाज ने दो पारियों में 4 विकेट लिए थे। हर्षित एडिलेड टेस्ट के प्लेइंग 11 का भी हिस्सा थे, लेकिन टीम को एक भी सफलता नहीं दिला पाए।

इस बीच, हर्षित राणा के पिता प्रदीप राणा का एक बयान काफी वायरल हो रहा है। हर्षित के पिता ने गेंदबाज को 150 की स्पीड से गेंदबाजी करने का चैलेंज दिया था और कहा था कि वह उन्हें एक प्लेयर तभी मानेंगे जब वो 150 की स्पीड से गेंदबाजी करेंगे।

इस कारण से हर्षित के पिता ने दिया था उन्हें चैलेंज

प्रदीप राणा का मानना है कि अगर हर्षित 150 किमी की स्पीड से गेंदबाजी करते हैं तो उन्हें भारत के लिए खेलने से कोई नहीं रोक सकता। लेकिन अगर वह 125 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करता है तो क्लब टीमें भी उसे लेने में संकोच करेंगी।

हर्षित राणा के पिता ने Indian Express पर बात करते हुआ बताया,

“मैंने उसे 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने की चुनौती दी। मैंने उससे कहा है कि जिस दिन तुम 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार को छू लोगे, मैं तुम्हें प्लेयर मान लूंगा। अगर तुम 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करोगे, तो तुम्हें भारत के लिए खेलने से कोई नहीं रोकेगा, लेकिन अगर तुम 125 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करोगे, तो कोई भी लोकल क्लब टीम तुम्हें नहीं चुनेगी।”

हर्षित की मां गीता राणा ने खुलासा किया कि प्रदीप (हर्षित के पिता) एक सख्त टास्कमास्टर थे और हर्षित के लिए शुरुआत में इसका सामना करना मुश्किल था। गीता ने खुलासा किया कि क्रिकेटर रात में रोता था, जबकि उनके पिता उसे यह कहकर प्रेरित करते थे कि खिलाड़ी बनना आसान नहीं है।

“वह मेरे बेटे के जरिए अपना सपना जी रहा थे। वह एक टास्कमास्टर थे। हर्षित हर रात रोता था। मैंने उसे कई बार रोकने की कोशिश की क्योंकि यह एक बच्चे के साथ व्यवहार करने का सही तरीका नहीं था। वह कहते थे, ‘खिलाड़ी बनना आसान नहीं है। उसने ही मुझसे कहा था कि वह क्रिकेट खेलना चाहता है। यह खून-पसीना एक कठिन काम है और अगर वह इसे छोड़ना चाहता है, तो छोड़ सकता है।’ लेकिन हर्षित ने कभी हार नहीं मानी।”

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