
Sourav Ganguly (Image Credit- Twitter X)
पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली ने स्पेशल रेसिपी विद संज्योत कीर नामक कुकिंग शो में, दुर्गा पूजा के दौरान अपने ड्रेस बदलने के पीछे की एक दिलचस्प कहानी का खुलासा किया है। गौरतलब है कि संज्योत, जो एक सेलिब्रिटी शेफ हैं, उनका एक YouTube चैनल है, जहां वे अपनी कुकिंग रेसिपी शेयर करते हैं और इस शो में बंगाल टाइगर के नाम से मशहूर गांगुली को, इस शो में एक गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किया था।
इस शो में ही उन्होंने बताया है कि एक बार दुर्गा पूजा विसर्जन देखने के लिए उन्होंने सरदार वाली ड्रेस वाली पहनी थी, जो कि विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में बेहद आकर्षक नहीं है। एक प्रसिद्ध व्यक्तित्व होने के नाते, भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने से उनके आस-पास के सभी लोगों का ध्यान आकर्षित होता है, जो कोलकाता के इस क्रिकेटर को बिल्कुल भी पसंद नहीं था। इसलिए उन्होंने सरदार वाली ड्रेस पहनी थी, जिसकी वजह से उन्हें कोई पहचाना ना पाए और वह एकांत में दुर्गा पूजा विसर्जन देख पाएं।
इस शो में गांगुली ने कहा- मेरी बेटी के साथ थोड़ी प्रतिस्पर्धा थी। मैंने कहा कि अगर मैं सरदार बन जाऊंगा, तो लोग मुझे नहीं पहचान पाएंगे और उसने कहा कि फिर भी लोग तुम्हें पहचान लेंगे। तो फोटो में मैं सिख बना हुआ था और मां दुर्गा के विसर्जन में गया था। जैसे ही मैं गाड़ी में बैठा तो सबसे पहले पुलिस ने मुझे पहचाना। वहां बहुत पुलिस थी। उन्होंने कहा कि तुम कुछ भी करो, लोग तुम्हें पहचान लेंगे।
गांगुली के क्रिकेट करियर पर एक नजर
बता दें कि गांगुली जिन्हें क्रिकेट जगत में “दादा” के नाम से जाना जाता है, भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं। उन्होंने 1992 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया और 1996 में लॉर्ड्स में शानदार शतक लगाकर टेस्ट करियर की शुरुआत की। गांगुली बाएं हाथ के स्टाइलिश बल्लेबाज थे और आक्रामक कप्तानी करने के लिए प्रसिद्ध थे।
उन्होंने 2000 से 2005 तक भारतीय टीम की कप्तानी की और टीम को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी कप्तानी में भारत ने विदेशी जमीन पर कई अहम जीत दर्ज की, जैसे 2002 की नेटवेस्ट सीरीज और 2003 वर्ल्ड कप का फाइनल।
उन्होंने 113 टेस्ट में 7212 रन और 311 वनडे में 11,363 रन बनाए। गांगुली की कप्तानी ने टीम इंडिया को आत्मविश्वास और आक्रामकता दी, जिससे भारतीय क्रिकेट में नए युग की शुरुआत हुई। क्रिकेट से संन्यास के बाद वे बीसीसीआई अध्यक्ष भी बने।