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“कोई सुनता कि तुम्हारा बेटा क्रिकेट खेल रहा है तो वे कहते कि ये तो आवारा मवाली ही बनेगा”- आकाश दीप की मां का बयान

“कोई सुनता कि तुम्हारा बेटा क्रिकेट खेल रहा है तो वे कहते कि ये तो आवारा मवाली ही बनेगा”- आकाश दीप की मां का बयान

Akash Deep (Photo Source: Twitter)

भारत और इंग्लैंड के बीच रांची में खेले जा रहे चौथे टेस्ट मैच में तेज गेंदबाज आकाश दीप को डेब्यू करने का मौका मिला। इंग्लिश टीम के खिलाफ रांची टेस्ट मैच के पहले दिन ही आकाश दीप ने विपक्षी टीम के टॉप तीन बल्लेबाजों को आउट कर पूरी तरह से बैकफुट पर धकेल दिया। वहीं पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद आकाश दीप ने अपने संघर्षपूर्ण जीवन को लेकर कुछ इमोशनल करने वाली बातें कहीं।

आकाश दीप ने शुक्रवार को डेब्यू किया, लेकिन इससे पहले उन्होंने गुरुवार को अपनी मां (लाडुमा देवी) को फोन करके कहा था कि मैं भारत के लिए डेब्यू करूंगा और तुम्हें आना होगा। इसके बाद आकाश की मां 300 किमी की यात्रा करते हुए बिहार के रोहतास जिले के बड्डी गांव से रांची के जेएससीए स्टेडियम पहुंच गईं। वहीं पहले दिन का प्रदर्शन को देखने के बाद आकाश दीप की मां भी काफी खुश नजर आई।

बेटे आकाश दीप के प्रदर्शन को देख उनकी मां हुई भावुक

बेटे के शानदार प्रदर्शन को लेकर बोलते हुए उनकी मां ने इंडिया टुडे के हवाले से कहा कि उसके पिता हमेशा उसे सरकारी अधिकारी बनाना चाहते थे लेकिन क्रिकेट उसका जुनून था और मैंने उसका हमेशा साथ दिया और मैं उसे छुपकर क्रिकेट खेलने भेज देती थी। उन्होंने कहा कि उस समय अगर कोई सुनता कि तुम्हारा बेटा क्रिकेट खेल रहा है तो वे कहते कि ये तो आवारा मवाली ही बनेगा’। लेकिन हमें उस पर पूरा भरोसा था और छह महीने के अंदर मेरे मालिक (पति) और बेटे के निधन के बावजूद हमने हार नहीं मानी क्योंकि हमें आकाशदीप पर भरोसा था।

पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद आकाश दीप ने अपने शानदार प्रदर्शन को लेकर कहा कि मैं अपने इस प्रदर्शन को अपने पिता को समर्पित करना चाहूंगा जो मुझे भारत के लिए खेलते हुए नहीं देख सके। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए भावनात्मक था। मैंने एक साल में अपने भाई और पिता को खो दिया था और मेरी यात्रा काफी कठिन रही है और मेरे परिवार ने मुझे इस लेवल तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने आगे कहा कि मेरे पास खोने को कुछ नहीं था, लेकिन पाने को बहुत कुछ था।

आकाशदीप के पिता रामजी सिंह सरकारी हाई स्कूल में ‘फिजिकल एजुकेशन’ शिक्षक थे और वह कभी भी अपने बेटे को क्रिकेटर नहीं बनाना चाहते थे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें लकवा मार गया और पांच साल तक बिस्तर पर रहे। उन्होंने फरवरी 2015 में अंतिम सांस ली। इसी साल अक्टूबर में आकाशदीप के बड़े भाई धीरज का निधन हो गया।

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