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कभी की थी रणजी ट्रॉफी मुकाबले में विराट कोहली के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी, अब ले रहे क्रिकेट से संन्यास

कभी की थी रणजी ट्रॉफी मुकाबले में विराट कोहली के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी, अब ले रहे क्रिकेट से संन्यास

कभी की थी रणजी ट्रॉफी मुकाबले में विराट कोहली के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी, अब ले रहे क्रिकेट से संन्यास

Puneet Bisht. (Photo Source: Punjab Kesari)

दिल्ली के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज पुनीत बिष्ट ने 2 अगस्त को क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया है। बता दें, पुनीत बिष्ट ने रणजी ट्रॉफी मुकाबले में दिल्ली की ओर से खेलते हुए विराट कोहली के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी की थी जब भारतीय टीम के पूर्व कप्तान के पिता का निधन हो गया था।

विराट कोहली जब 17 साल के थे तब उनके पिता प्रेम कोहली का निधन हो गया था। भले ही उनके पिता को आधी रात को ब्रेन स्ट्रोक आया था लेकिन कोहली ने 2006 में कर्नाटक के खिलाफ बिष्ट के साथ बल्लेबाजी की।

पुनीत बिष्ट ने तीनों प्रारूपों को मिलाकर 272 मुकाबले खेले हैं और दिल्ली के साथ उन्होंने 2007-08 में रणजी ट्रॉफी भी जीती है। उन्होंने जम्मू और कश्मीर और मेघालय के लिए भी खेला है। उन्होंने 103 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 5231 रन बनाए हैं जिसमें 10 शतक मौजूद है। उन्होंने यह रन 62.71 के स्ट्राइक रेट और 38 के ऊपर के औसत से बनाए है। यही नहीं पुनीत बिष्ट ने लिस्ट ए में 103 मुकाबलों में 38.98 के औसत और 100.48 के स्ट्राइक रेट से 2924 रन बनाए हैं जिसमें 6 शतक भी शामिल है।

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उन्होंने फर्स्ट क्लास में सर्वाधिक स्कोर मेघालय की ओर से खेलते हुए सिक्किम के खिलाफ 2018-19 रणजी ट्रॉफी में बनाया था जो 343 रन था। सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी टूर्नामेंट 2021 में उन्होंने मेघालय की ओर से खेलते हुए मिजोरम के खिलाफ 51 गेंदों में 146 रनों की विस्फोटक पारी खेली थी जिसमें 17 छक्के और 6 चौके मौजूद थे।

कॉम्पिटेटिव क्रिकेट से संन्यास लेने का यही सबसे अच्छा समय है: पुनीत बिष्ट

पुनीत बिष्ट ने अपने संन्यास को लेकर यह बात कही है कि उनके हिसाब से कॉम्पिटेटिव क्रिकेट में संन्यास लेने का यही सबसे अच्छा समय है। न्यूज़18 के मुताबिक पुनीत बिष्ट ने कहा कि, ‘मेरे हिसाब से क्रिकेट से संन्यास लेने का यही सबसे अच्छा समय है। मैंने फर्स्ट क्लास और लिस्ट ए फॉर्मेट में 100 से ज्यादा मुकाबले खेले हैं। सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में भी मैंने कई मुकाबलों में अच्छा प्रदर्शन किया है। एक खिलाड़ी के रूप में इससे ज्यादा मैं और कोई उपलब्धि हासिल नहीं कर सकता मेरे हिसाब से यही सही समय है संन्यास लेने का।

मेरे लिए सबसे यादगार सोच रणजी ट्रॉफी को जीतने की होगी। मैं बीसीसीआई, डीडीसीए, जेकेसीए और मेघालय सीए को अपने सफर के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं देना चाहूंगा।’

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