Saurabh Netravalkar (Pic Source X)
अमेरिकी टीम के लिए टी20 वर्ल्ड कप खेलने वाले भारतीय सौरभ नेत्रवलकर का नाम भले ही पिछले कुछ समय से चर्चा में रहा हो, लेकिन सौरभ और क्रिकेट का रिश्ता बहुत पुराना है। बता दें कि, साल 2010 में, उन्होंने अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में जगह बनाई थी। उस समय वह अपनी मां या पिता के साथ क्रिकेट प्रैक्टिस के लिए मुंबई लोकल से चर्चगेट जाते थे।
लेकिन फिर मुंबई के बाएं हाथ के तेज गेंदबाज ने भारत के लिए क्रिकेट खेलने का अपना सपना छोड़कर अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए जाने का फैसला किया, लेकिन अब उन्होंने खुद यह बातें शेयर की हैं कि यह फैसला लेने से पहले उनके साथ क्या हुआ था।
मैंने अपने माता-पिता से दो साल का समय मांगा
हुआ यह कि केएल राहुल और मयंक अग्रवाल जैसे क्रिकेटरों के साथ अंडर-19 विश्व कप खेलने वाले सौरभ ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स करने के लिए खेल छोड़ने का कठिन निर्णय लिया। लेकिन इससे पहले उनके क्रिकेट करियर में कई उतार-चढ़ाव आए। सौरभ शुरू से ही पढ़ाई में मेधावी थे और उनके अंदर क्रिकेट खेलने का हुनर भी था।
उन्होंने पढ़ाई या क्रिकेट में से किसी एक को चुनने से पहले अपने माता-पिता से दो साल का समय मांगा और फैसला किया कि अगर वह दो साल में पेशेवर क्रिकेट में खुद को साबित नहीं कर पाए, तो वह पढ़ाई और काम पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
टेस्ट में कलर ब्लाइंड बताए गए
जब जहीर खान, अजीत अगरकर, अविस्कर साल्वी और धवल कुलकर्णी जैसे खिलाड़ियों की मौजूदगी ने उन्हें मुंबई रणजी टीम में जगह पाने से रोका, तो नेत्रवलकर को एहसास हुआ कि उन्हें क्रिकेट छोड़कर काम पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। लेकिन एक बड़ी समस्या भी थी। सौरभ बताया –
“अंडर-19 विश्व कप के बाद, मुझे BPCL में नौकरी की पेशकश की गई, जहां उन्होंने मुझसे विभिन्न टेस्ट से गुजरने के लिए कहा गया। उनमें से एक आँखों का टेस्ट था। जहां वे स्क्रीन पर अलग-अलग रंग दिखाते हैं और आपसे उन्हें पहचानने के लिए कहा जाता है। उस ट्रेनिंग रिपोर्ट में उन्होंने मुझे बताया कि मैं कलर ब्लाइंड हूं। आखिरकार, साल 2016 में छात्रवृत्ति मिलने के बाद, मैंने मास्टर्स करने के लिए अमेरिका जाने का फैसला किया।”
सौरभ नेत्रवलकर क्रिकेट के प्रति अपना जुनून कैसे बरकरार रखते हैं?
अमेरिका जाने के बाद नेत्रवलकर ने क्रिकेट के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाने का फैसला किया। सौरभ ने कहा-
”शाम को काम के बाद मैं सिर्फ अपने दोस्तों के साथ घूमने नहीं जाता, बल्कि प्रैक्टिस के लिए जाता हूं। क्लब मैच हफ्ते-हफ्ते खेले जाते हैं। मैंने मैच खेलने के लिए काफी पापड़ बेले हैं। हालांकि, मेरा काम अच्छा चल रहा है और मेरी कंपनी ने मेरे ईमानदार प्रयासों को देखा है, क्रिकेट मेरे काम के रास्ते में कभी नहीं आता है।”