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“उनमें बहुत ईगो होगा और उन्हें मैनेज करना बहुत मुश्किल होगा”- विराट और रोहित को लेकर पूर्व हेड कोच द्रविड़ का बयान

उनमें बहुत ईगो होगा और उन्हें मैनेज करना बहुत मुश्किल होगा- विराट और रोहित को लेकर पूर्व हेड कोच द्रविड़ का बयान

उनमें बहुत ईगो होगा और उन्हें मैनेज करना बहुत मुश्किल होगा- विराट और रोहित को लेकर पूर्व हेड कोच द्रविड़ का बयान

Virat Kohli-Rohit Sharma and Rahul Dravid. (Image Source: BCCI/X)

टीम इंडिया के पूर्व हेड कोच राहुल द्रविड़ ने भारतीय टीम के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली और रोहित शर्मा को लेकर बड़ा बयान दिया है। द्रविड़ ने कहा कि कप्तान रोहित शर्मा, स्टार बल्लेबाज विराट कोहली या अन्य बड़े खिलाड़ियों के बारे में फैंस जो सोचते हैं सच्चाई एक दम उससे उलटा है। द्रविड़ ने यह भी साफ कर दिया कि बड़े प्लेयर्स के बीच कोई ईगो या किसी तरह की कोई दिक्क्त नहीं है।

स्टार स्पोर्ट्स से बातचीत के दौरान भारत के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज ने कहा कि, “मेरा मानना ​​है कि टीमों का नेतृत्व वास्तव में सीनियर खिलाड़ियों के ग्रुप द्वारा किया जाता है। उनका नेतृत्व कप्तान करता है। इसलिए, मुझे लगता है कि रोहित के साथ काम करना सौभाग्य की बात थी। मुझे लगता है कि इन ढाई वर्षों में वह एक शानदार लीडर रहे। लोग वाकई उनकी और टीम की ओर आकर्षित हुए। मुझे लगता है कि इससे बहुत फर्क पड़ता है।”

हाईप्रोफाइल क्रिकेटर्स को मैनेज करना कोई मुश्किल काम नहीं- राहुल द्रविड़

इस दौरान द्रविड़ ने यह भी कहा कि उन्हें कभी भी हाई-प्रोफाइल क्रिकेटर्स को मैनेज करना मुश्किल नहीं लगा। उन्होंने कहा, ”टीम में कई अन्य सीनियर खिलाड़ी भी थे, चाहे वह विराट हों, जसप्रीत बुमराह हों या टेस्ट क्रिकेट में रविचंद्रन अश्विन। बहुत से भारतीय क्रिकेटर बड़े नाम हैं, वे सुपरस्टार हैं और बहुत लोग उन्हें फॉलो करते हैं।

कभी-कभी लोग सोचते हैं कि उनमें बहुत ईगो होगा और उन्हें मैनेज करना बहुत मुश्किल होगा। लेकिन असल में इसका बिल्कुल उल्टा है। इनमें से बहुत से सुपरस्टार वकाई में अपनी तैयारी को लेकर बहुत विनम्र हैं। वे अपने काम के प्रति विनम्र हैं। और यही कारण है कि वे सुपरस्टार हैं।”

द्रविड़ ने आगे कहा, ”आज 37 वर्षीय अश्विन को ही देख लीजिए। इस उम्र में भी वह अडेप्ट करने के लिए तैयार हैं। वह सीखने को तैयार हैं। यह तो बस एक उदाहरण है। बेशक, कई बार आपको उन्हें मैनेज करना पड़ता है, उनके शरीर को मैनेज करना पड़ता है, वर्कलोड को मैनेज करना पड़ता है और ऐसी बहुत सी चीजें हैं। लेकिन ईमानदारी से कहूं तो यह बहुत मुश्किल नहीं था। मेरे आसपास लोगों का एक अच्छा ग्रुप था और मुझे खुशी है कि हम एक अच्छा माहौल बनाने में सफल रहे। लेकिन इसका बहुत सारा श्रेय कप्तान और सीनियर्स को जाता है।”

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